भारत की राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति भवन : 11.12.2024
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 11 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली में विभिन्न श्रेणियों में चयनित 45 पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए। ये पुरस्कार सतत और समावेशी विकास के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के सम्मान स्वरूप प्रदान किए गए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की लगभग चौसठ प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। इसलिए गांवों और ग्रामवासियों का विकास तथा सशक्तीकरण भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अहम है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विगत एक दशक में सरकार ने ठोस परिणाम प्राप्त करने के उद्देश्य से पंचायतों के सशक्तीकरण हेतु गंभीर प्रयास किए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत की नींव आत्म-निर्भर और सक्षम स्थानीय निकायों की नींव पर ही रखी जा सकती है। पंचायतों को अपने राजस्व के स्रोत विकसित करके आत्म-निर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए। यह आत्म-निर्भरता ग्राम सभाओं को आत्मबल और देश को संबल प्रदान करेगी।
राष्ट्रपति ने 'राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार' के सभी विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार उनके समर्पण और प्रयासों का प्रमाण हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मान उनको और भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा और अन्य ग्राम पंचायतों को भी ग्राम विकास की दिशा में सार्थक प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बना रही हैं। यह खुशी की बात है कि महिला प्रतिनिधि जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने महिला प्रतिनिधियों से पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्भीकता और पूरी दक्षता के साथ निर्वहन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आज भी कुछ जगहों पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पंचायतों के कार्य करने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि महिला प्रतिनिधियों को ऐसी प्रथाओं का उन्मूलन करना चाहिए और खुद को स्वतंत्र नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव, जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि पंचायत चुनाव समय पर और निष्पक्ष रूप से हों। उन्होंने चुनाव के दौरान और उसके बाद तक भी होने वाली चुनावी हिंसा की घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया हमेशा सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न होनी चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि ग्रामवासी अपने ही बीच से, अपनी ही भलाई के लिए, अपने ही प्रतिनिधि चुन रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य जन-प्रतिनिधियों और अधिकारियों को जवाबदेह बनाना तथा प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि मतदाता अपने जन-प्रतिनिधियों को बहुत ही भरोसे के साथ चुनते हैं। इसलिए जन-प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे अपने व्यवहार और कार्यों के जरिए इस विश्वास को बनाए रखें। राष्ट्रपति ने कहा कि देश भर में, गांवों में अधिकांश विवाद ऐसे होते हैं जो स्थानीय स्तर पर सुलझाए जा सकते हैं। न्यायालयों में जाने से न केवल ग्रामवासियों का धन और समय नष्ट होता है बल्कि इससे कोर्ट और प्रशासन पर भी अनावश्यक दबाव बढ़ता है। उन्होंने सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह
किया कि वे ग्रामवासियों के आपसी झगड़ों का पंचायत स्तर पर ही समाधान करने के प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ऐसा करना उनका अधिकार भी है और कर्तव्य भी। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024 में, दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार, नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत विकास पुरस्कार, ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार, कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार और पंचायत क्षमता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार जैसी श्रेणियां शामिल हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, बाल कल्याण, जल संरक्षण, स्वच्छता, मूलभूत अवसंरचना, सामाजिक न्याय, सुशासन और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में पंचायतों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सम्मानित करना और उन्हें प्रोत्साहित करना है।